• भारोपीय परिवार की भाषाओं, भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं एवं भारतीय भाषाओं में संस्कृत की शब्द संपदा के योगदान की जानकारी लेना।
  • सभी भाषाओं की शब्द संपदा में क्षेत्रीय, राजनीतिक और सामुदायिक ऊँच-नीच रहित, ध्वनि साम्य संपृक्त, वैज्ञानिक अंत:संबंध ज्ञात करना।
  • भाषा विज्ञान / फिलोलॉजी के पाठ्य बिंदुओं में संस्कृत की अप्लाइड थ्योरीज़ की जानकारी प्राप्त करना, विशेषत: ध्वनि परिवर्तन और व्याकरण के सिद्धांतों का प्रयोगात्मक रूप प्रत्येक भाषा में खोजना।
  • बिना क्षेत्रीय भेद के संज्ञा शब्दों, क्रिया पदों, उपसर्गों एवं निपातों की आधारशिला पर विचार करने और उसे संप्रेषण प्रदान करने के संबंध में शब्द संपदा के संदेह रहित प्रयोग को अपनी आवश्यकता के अनुरूप करना और पहचानना।
  • अक्षर ज्ञान, लिपि ज्ञान, शब्द / वाक्य श्रवण, उच्चारण, पठन, लेखन का कौशल विकसित करना सभी भाषाओं के समान संस्कृत भाषा के भी उद्देश्य हैं।
  • सर्वाधिक प्राचीन काल से प्रयुक्त और अभी तक चली आ रही विभिन्न शास्त्रीय प्रणालियों की जानकारी प्राप्त करना और मानवता के हित में उनका कैसे कैसे सहज प्रयोग हो सकता है की जानकारी का लाभ उठाना। 
  • संस्कृत न केवल राजभाषा का प्राथमिक शब्द स्रोत है अपितु उर्दू के क्रिया पदों, कुछ अंश में अंग्रेजी के शब्द संपदा और सभी भारतीय भाषाओं की शब्द संपदा की आपूर्तिकर्ता संस्कृत शब्द संपदा है, जो कि वास्तविक रूप से संस्कृतसम संस्कृतभव स्वरूप है, जिसको हमारी आधुनिक अध्ययन परंपरा में तत्सम, तद्भव शब्द संपदा कहा गया है।
  • आत्मन: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्, सर्वे भवंतु सुखिनः, अहिंसा परमो धर्म: इत्यादि सार्वभौम एथिकल परंपराओं में संस्कृत संदर्भों को भी औपचारिक अध्ययन के साथ-साथ विश्व समाज के औपचारिक अध्ययन में प्रस्थापित करना।
  • भाषा की संगीतात्मता को अनुभव करना, अतिसंक्षेप में बात को संदेह रहित तरीके व्यक्त करना, अधिक विस्तार से भी रोचक तरीके से बात को व्यक्त करने का कौशल विकसित करना, सहज और कृत्रिम (कोडेड) विधि से कथ्य का विचार, संप्रेषण, संरक्षण, और संवर्धन करना।
  • लिंग, जाति, संप्रदाय, समुदाय और क्षेत्र से ऊपर वसुधैव कुटुंबकम् की वैश्विक धर्मभावना को आत्मसात् करते हुए अंतरिक्ष से पृथ्वी तक पर्यावरण एवं जीव मात्र के प्रति अपना सहसंबंध और सहज संबंध ज्ञात करना।
  • आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी में संस्कृत की संदेह रहित एप्लीकेशन से मानव की प्राचीन ज्ञान परंपरा को आधुनिक आवश्यकताओं से जोड़ना।
Sanskritam 2 explained by Ashutosh Pareek
Sanskritam explained by Ashutosh Pareek

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