Ancient Indian Knowledge by Ashutosh Pareek
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भारतीय ज्ञान-विज्ञान की अनन्त शाखाएँ और अनन्त संभावनाएँ

भाग 6 संस्कृत, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान : एक अनुपम संगम भारतीय ज्ञान-विज्ञान की अनन्त शाखाएँ और अनन्त संभावनाएँ (Infinite branches and infinite possibilities of Indian knowledge and science) “वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।” – स्वामी दयानंद सरस्वती, आर्यसमाज का तीसरा नियम वैदिक साहित्य…

भारतीय ज्ञान परम्परा by Ashutosh Pareek
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प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान की गौरवमयी परम्परा

“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे, संस्कृतं संस्कृतिस्तथा।।” प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान की गौरवमयी परंपरा समस्त जगत् को आलोकित करने वाली है। संस्कृत भाषा में ज्ञान-विज्ञान की महती शृंखला है जो वर्तमान वैज्ञानिक जगत् के लिए कौतूहल का विषय ही है। आज जहाँ एक ओर आधुनिक विज्ञान समुन्नत अवस्थिति में दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी ओर इसके दोष…

विज्ञान-वरदान-या-अभिशाप-explained-by-Ashutosh-Pareek
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वैज्ञानिक और तार्किक चिन्तन का परिणाम: सनातन दृष्टि

“संगच्छध्वं संवदध्वं, सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे, सञ्जानाना उपासते।।” ऋग्वेद 10.191.2 “साथ चलने, एक स्वर में बोलने और एक दूसरे के मन को जानने वाला समाज ही अपने युग को बेहतर बनाने की सामर्थ्य से युक्त हो सकता है और ऐसे युग में जीने वाले स्वयं के लिए बेहतर वर्तमान और आने…

Vedic Vision Fruits-Of-Hard-Work-explained-by-Ashutosh-Pareek
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वैदिक दृष्टि : जीवनीय, रक्षणीय और प्रेरणीय

“कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समाः। एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे॥” यजुर्वेद 40.2 “कर्म करते हुए सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करो” इस बात को सुनते ही हम उसकी अनुपालना में लग जाते हैं, अच्छी बात है लेकिन वैदिक दृष्टि यहीं समाप्त नहीं होती। ये कर्म कैसे हों? ये हमारे जीवन, उसकी सुरक्षा, संरक्षा…

Shivkar-Bapuji-Talpade-Explained-by-Ashutosh-Pareek
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यान्त्रिक विज्ञान का आदिस्रोत

“एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः| स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्, पृथिव्यां सर्वमानवाः||” (मनुस्मृति  – महर्षि मनु 2.20) महर्षि मनु अपने उक्त कथन में स्पष्ट रूप से कहते हैं कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान से संयुक्त व्यक्तित्व समस्त विश्व के लिए चरित्र का सच्चा शिक्षक हो सकता है| महर्षि मनु का उक्त कथन प्राचीन भारतीय ज्ञानविज्ञान की उस खाई का वर्णन करता…

climate-change-explained-by-Ashutosh-Pareek
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मौलिक और सार्वकालिक सिद्धान्तों का आदिस्रोत वेद

“यः कश्चित् कस्यचिद्धर्मो मनुना परिकीर्तितः। स सर्वोSभिहितो वेदे, सर्वज्ञानमयो हि सः।।” – मनुस्मृति – महर्षि मनु 2.7 अखिल ज्ञान का मूल वेदों को अखिल ज्ञान का मूल बताते हुए महर्षि मनु इन्हें समस्त ज्ञान का आगार कहते हैं और बड़ी ही सहजता, तार्किकता और दृढता के साथ वेदोक्त कार्यों को धर्म और इन वेदों में…