भारतीय ज्ञान-विज्ञान की अनन्त शाखाएँ और अनन्त संभावनाएँ
भाग 6 संस्कृत, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान : एक अनुपम संगम भारतीय ज्ञान-विज्ञान की अनन्त शाखाएँ और अनन्त संभावनाएँ (Infinite branches and infinite possibilities of Indian knowledge and science) “वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।” – स्वामी दयानंद सरस्वती, आर्यसमाज का तीसरा नियम वैदिक साहित्य…