संस्कृत, संस्कृति और विज्ञान का समागम : संस्कृतायनम्
संस्कृत भाषा हर युग के विद्यार्थी, शिक्षक और समाज के हृदय की भाषा बनने की सामर्थ्य रखती है. समाज संस्कृत से जुड़ना चाहता है किन्तु सम्भवतः हम उनके हृदय तक पहुँच विकसित करने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं. अतः संस्कृत और समाज को जोड़ने का यह एक प्रयास है. “संस्कृतायनम्” के माध्यम से संस्कृतसंवर्धन के लिए कार्यशाला, संगोष्ठी, संवाद एवं परिचर्चा जैसे विविध आयोजन किए जाते हैं, जिनको तीन भागों में बाँटा गया है-
१.
विद्यार्थिहिताय
(For the Students)
Our priority for Sanskrit Promotion are students. They are the future Sanskrit promoter.
So Programs for Students ie. Talk, Sanskrit Skill Course, Workshop, Symposium etc.
२.
शिक्षकहिताय
(For the Teachers)
Teachers are the key to establish strong connection between Sanskrit and Students as well as Society.
If Teachers are love Sanskrit than whole society will love and encourage Sanskrit.
३.
समाजहिताय
(For the Society)
Society affects education system as well as Education System affects Society.
If want “Sanskrit : The language of heart” than we have to send good message to Society.
अतः संस्कृत भाषा के संवर्धन के लिए अनेक प्रकार की योजनाओं, कार्यक्रमों को आप अपने शहर, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं समाज के किसी भी प्रकल्प में आयोजित कराने हेतु सम्पर्क करें…
• संस्कृतकौशलशिविरम् (Sanskrit Skill Course)
• वैदिकगणितम् (Vedic Maths)
• संस्कृते विज्ञानम् (Science in Sanskrit)
• मम गौरवम् : मम संस्कृतम् (My Pride : My Sanskrit)
• संस्कृते अवसरा: (Career in Sanskrit)
• संस्कृतशिक्षककार्यशाला (Workshop for Sanskrit Teachers)
• संवादः (Sanskrit Talk)
• संस्कृते नवाचारा: (Innovations in Sanskrit)
• भारतीयसंस्कृतिः (Indian Culture)
• भारतीयज्ञानपरम्परा (Indian Knowledge System)
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