संस्कृतव्यक्तित्वम् | Sanskrit Personalities

संस्कृत समुपासका: by Ashutosh Pareek

ऊपर एक चित्र दिया गया है। ध्यान से देखकर इनके नाम बताइए:

आधुनिक काल में संस्कृत भाषा के अनेक समुपासकों में से कुछ मोती यहाँ हैं और ऐसे अनेक रत्न संस्कृत समाज को गति प्रदान कर रहे हैं। इन रत्नों के बारे में जानना प्रत्येक संस्कृतानुरागी के लिए हर्ष और उत्साह का संचार करने वाला होता है, ऐसा मेरा मत है।

संस्कृत भाषा की प्राचीन से अर्वाचीन तक की यात्रा में संस्कृत की अनेक विभूतियों का योगदान संस्कृतानुरागियों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। संस्कृत में वैदिक परम्परा से लेकर लौकिक साहित्य तक रचे गए विविध साहित्य की सर्जना ने संस्कृत को समृद्ध बनाया है। यह समृद्धि संस्कृत भाषा के लिए समर्पित एवं अनवरत प्रयत्नशील संस्कृत सेवकों के कारण ही संभव हुई है।

संस्कृतयोद्धा

संस्कृत की शास्त्रीय, दार्शनिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक समुन्नति का आधार बने संस्कृतसेवकों को हम “संस्कृतयोद्धा” भी कह सकते हैं क्योंकि इन्हीं के प्रयत्नों ने संस्कृत भाषा की धारा को अनवरत प्रवहणशील बनाए रखा; संस्कृत को जनमानस तक पहुँचाने के लिए दिन-रात कार्य किया और निर्बाध गति प्रदान करते हुए उसे कदापि रुकने नहीं दिया। ऐसे ही अनवरत प्रयत्नशील संस्कृतपुत्रों और पुत्रियों के लिए कहा गया- “अहर्निशं जागरणीयं, लोकहितं मम करणीयम्।”

वैदिक काल से आधुनिक काल तक संस्कृतसेवकों के इन प्रयासों को जानना और अन्यों तक पहुँचाना इस आलेख शृंखला का लक्ष्य है। Wikipedia पर संस्कृत कवियों की एक सूची प्राप्त हुई। आइए, इन्हें देखें और इनके बारे में विस्तार से जानें।

Wikipedia

जयतु संस्कृतम्

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