Sanskrit : Learn, Speak, Relate & Inspire
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Sanskrit : Learn, Speak, Relate & Inspire

डॉ. आशुतोषपारीक: (शिक्षक: लेखक: संस्कृतसंवर्धकश्च) सह-आचार्य:, संस्कृतविभाग:, सम्राट् पृथ्वीराजचौहान-राजकीयमहाविद्यालय:, अजयमेरु:, राजस्थानम्, भारतम् Topics for Workshops, Symposium or Talk: Dr. Ashutosh Pareek Email: namaste.ashutoshpareek@gmail.comWebsite: https://ashutoshpareek.com/

संस्कृत-समुपासका: (भाग 1)
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संस्कृत-समुपासका: (भाग 1)

संस्कृतव्यक्तित्वम् | Sanskrit Personalities ऊपर एक चित्र दिया गया है। ध्यान से देखकर इनके नाम बताइए: आधुनिक काल में संस्कृत भाषा के अनेक समुपासकों में से कुछ मोती यहाँ हैं और ऐसे अनेक रत्न संस्कृत समाज को गति प्रदान कर रहे हैं। इन रत्नों के बारे में जानना प्रत्येक संस्कृतानुरागी के लिए हर्ष और उत्साह…

इतिहास, वर्तमान और भविष्य (भाग 1)
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इतिहास, वर्तमान और भविष्य (भाग 1)

संस्कृत पत्रकारिता (Sanskrit Journalism) – भाषा की दृष्टि से विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक और गौरवमय इतिहास की प्रेरिका एवं साक्षी रही संस्कृत भाषा वर्तमान युग में निश्चय ही पत्रकारिता एवं मीडिया को प्रभावित करने की असीम सम्भावनाओं से परिपूर्ण है। आज जबकि भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया बहुत तेज़ी से पैर पसार रहा…

Learn Sanskrit by Google | गूगलद्वारा संस्कृतम्
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Learn Sanskrit by Google | गूगलद्वारा संस्कृतम्

‘गूगल’ (www.google.com) पर संस्कृतभाषा के विषय में संस्कृतान्वेषण के समय प्राप्त परिणामों की संख्या आश्चर्य उत्पन्न कर देने वाली है। हम जानते हैं कि यह मात्र शब्दगणना है तथापि इनमें से मात्र 1% तक भी हम अपनी पहुँच के बारे में चिन्तन प्रारम्भ करें तो भी यह संस्कृत की महान् सम्पदा के रूप में दिशा…

संस्कृत, संस्कृति और विज्ञान का समागम : संस्कृतायनम्
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संस्कृत, संस्कृति और विज्ञान का समागम : संस्कृतायनम्

संस्कृत भाषा हर युग के विद्यार्थी, शिक्षक और समाज के हृदय की भाषा बनने की सामर्थ्य रखती है. समाज संस्कृत से जुड़ना चाहता है किन्तु सम्भवतः हम उनके हृदय तक पहुँच विकसित करने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं. अतः संस्कृत और समाज को जोड़ने का यह एक प्रयास है. “संस्कृतायनम्” के…

संस्कृतायनम् | Sanskritaayanam
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संस्कृतायनम् | Sanskritaayanam

संस्कृत, संस्कृति और विज्ञान का समागम : संस्कृतायनम् संस्कृत भाषा हर युग के विद्यार्थी, शिक्षक और समाज के हृदय की भाषा बनने की सामर्थ्य रखती है. समाज संस्कृत से जुड़ना चाहता है किन्तु सम्भवतः हम उनके हृदय तक पहुँच विकसित करने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं. अतः संस्कृत और समाज को…

प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान की गौरवमयी परम्परा
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प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान की गौरवमयी परम्परा

“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे, संस्कृतं संस्कृतिस्तथा।।” प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान की गौरवमयी परंपरा समस्त जगत् को आलोकित करने वाली है। संस्कृत भाषा में ज्ञान-विज्ञान की महती शृंखला है जो वर्तमान वैज्ञानिक जगत् के लिए कौतूहल का विषय ही है। आज जहाँ एक ओर आधुनिक विज्ञान समुन्नत अवस्थिति में दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी ओर इसके दोष…

वैज्ञानिक और तार्किक चिन्तन का परिणाम: सनातन दृष्टि
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वैज्ञानिक और तार्किक चिन्तन का परिणाम: सनातन दृष्टि

“संगच्छध्वं संवदध्वं, सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे, सञ्जानाना उपासते।।” ऋग्वेद 10.191.2 “साथ चलने, एक स्वर में बोलने और एक दूसरे के मन को जानने वाला समाज ही अपने युग को बेहतर बनाने की सामर्थ्य से युक्त हो सकता है और ऐसे युग में जीने वाले स्वयं के लिए बेहतर वर्तमान और आने…

भूगर्भीय जल का अलवणीकरण (Desalination of Ground Water)
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भूगर्भीय जल का अलवणीकरण (Desalination of Ground Water)

अञ्जनमुस्तोशिरै: सराजकोशातकामलकचूण:। कतकफलसमायुक्तैरयोग: कूपे प्रदातव्य:।। कलुषं कटुकं लवणं विरसं सलिलं यदि वाशुभगन्धिभवेत्। तदनेन भवत्यमलं सुरसं सुसुगन्धि गुणैरपरैश्य युतम्।। – बृहत्संहिता – वराहमिहिर 54.121, 122 जल को साफ़ करने का अचूक उपाय

वैदिक दृष्टि : जीवनीय, रक्षणीय और प्रेरणीय
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वैदिक दृष्टि : जीवनीय, रक्षणीय और प्रेरणीय

“कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समाः। एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे॥” यजुर्वेद 40.2 “कर्म करते हुए सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करो” इस बात को सुनते ही हम उसकी अनुपालना में लग जाते हैं, अच्छी बात है लेकिन वैदिक दृष्टि यहीं समाप्त नहीं होती। ये कर्म कैसे हों? ये हमारे जीवन, उसकी सुरक्षा, संरक्षा…